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शिल्पा शेट्टी ने बताया, आखिर क्यों उन्हें लेना पड़ा सरोगेसी का सहारा?

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शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा के घर बेबी गर्ल समीशा शेट्टी कुंद्रा ने अपने नन्हें कदम रखें। इसकी जानकारी कपल ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिये दी और कहा कि, हमारी प्राथर्नाओं का जवाब मिल गया है। हमें ये बताते हुए खुशी हो रही है कि एक नन्ही-सी परी ने हमारे घर पर कदम रखा है।

बता दें 44 साल की उम्र में शिल्पा सरोगेसी के जरिये दोबारा मां बनीं। उन्होंने अब इस बात का खुलासा किया है कि, आखिर शिल्पा ने समीशा के जन्म के लिए सरोगेसी को क्यों चुना? शिल्पा ने बताया कि, ‘वियान के बाद, मैं लंबे समय तक से दूसरे बच्चे के जन्म के लिए ट्राय कर रही थी। लेकिन मैं APLA नामक एक ऑटो इम्यून बीमारी (एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम) से जूझ रही थी। जिसके कारण गर्भधारण करने पर मुश्किल हो जाती है, तो इसलिए मेरे कई मिसकैरेज हुए।’

शिल्पा ने कहा कि, ‘मैं नहीं चाहती थी कि मेरा बड़ा बेटा वियान अकेला बड़ा हो, मैं भी दो में से एक हूं और मुझे पता है कि भाई-बहन का होना कितना जरूरी होता है। इसके लिए मैंने कई उपाय किए, लेकिन कोई भी उपाय काम नहीं आया। उस समय जब मैं एक बच्चे को गोद लेना चाहती थी, मैंने उसका नाम भी सोच लिया था, लेकिन इस प्रक्रिया में भी कई परेशानियां आ रही थी। मैंने चार सालों तक इंतजार किया, लेकिन जब कुछ हाथ नहीं लगा तो मैं बहुत परेशान हो गई और इस वजह से हमने सरोगेसी को चुना।’

शिल्पा ने बताया, ‘मैंने एक और बच्चा होने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन फिर 5 साल के इंतजार के बाद जब मुझे पता चला कि हम फिर से माता-पिता बनने जा रहे हैं। उस समय मैंने ‘निकम्मा’ और ‘हंगाना’ फिल्म साइन की थी। मैंने इनके लिए तारीखें भी फाइनल कर ली थी, लेकिन यह खुशखबरी मिलते ही मैंने अपना पूरा वर्क शिड्यूल जल्दी-जल्दी खत्म करने का प्लान किया, क्योंकि मैं अपना पूरा समय समीशा को देना चाहती थी।’

क्या है APLA बीमारी?

शिल्पा शेट्टी ने एप्ला नाम की जिस बीमारी का ज़िक्र किया वो अधिकतर महिलाओं में पाई जाती है। एंटीफोसफोलिपिड सिंड्रोम एक ऑटो इम्यून बीमारी है, जिसमें हमारा शरीर ऐसी कोशिकाएं बनाता है जो स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें पूरी तरह से खत्म कर देती हैं। ऑटो इम्यून में एक ऐसी खराबी पैदा हो जाती है जिससे असामान्य कोशिकाएं शरीर के थक्के जमने की प्रक्रिया पर हमला करने लगती हैं। इससे खून में बहुत जल्दी थक्के जमने लगते हैं। इस बीमारी का असर शरीर की धमनियों, नसों और अंगों पर पड़ता है। उनमें खून के थक्के जमने से ब्लड फ्लो में बाधा आती है और अंगों में समस्याएं आने लगती हैं। इसके कारण गर्भ, किडनी, फेफड़े, दिमाग, हाथ-पैर आदि कई अंग प्रभावित होते हैं जिससे गर्भपात, अंगो का निष्क्रिय होना और आघात जैसी दिक्क़तें हो सकती हैं।

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